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मेहनत से सही दिशा में प्रयास कर लखपति दीदी बनी सरभोका की शशिकला…..

रायपुर: महिलाओं को स्वरोजगार के क्षेत्र में बढ़ावा देकर उनकी आर्थिक स्तर को सशक्त करने के लिए लखपति दीदी योजना संचालित की जा रही है। मेहनत और सही दिशा में किया गया प्रयास ही किसी भी व्यक्ति की सफलता का मूल कारण होता है। कोरिया जिले केे ग्राम पंचायत सरभोका की रहने वाली शशिकला इसका जीवंत उदाहरण हैं। बिहान योजना से जुड़कर उन्होंने आत्मनिर्भरता की नई राह बनाई और आज ग्रामीण अंचल में लखपति दीदी के रूप में  अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं।

लखपति दीदी योजना के तहत महिलाएं लोन ले सकती हैं

महिलाओं को स्वरोजगार के क्षेत्र में बढ़ावा देकर उनकी आर्थिक स्तर को सशक्त करने के लिए लखपति दीदी योजना संचालित की जा रही है। इस योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं को पहले किसी स्वयं सहायता समूह से जुड़ना होता है। इसके बाद उनको वहां पर कौशल विकास की प्रशिक्षण दी जाती है। प्रशिक्षण लेने के बाद लखपति दीदी योजना के अंतर्गत महिलाएं सिलाई, ब्यूटी पार्लर, खाद्य पदार्थ निर्माण, पशुपालन और अन्य व्यवसाय को शुरू करने के लिए लोन ले सकती हैं। लखपति दीदी योजना के तहत महिलाएं 5 लाख रुपये तक का लोन ले सकती हैं। इस लोन पर महिलाओं को किसी प्रकार की ब्याज दरों का भुगतान नहीं करना होता है।

फर्श से अर्श तक का सफर

शशिकला का जीवन भी एक सामान्य ग्रामीण महिला की तरह ही शुरू हुआ। परिवार की आय का एकमात्र साधन आटा चक्की थी, जिससे मात्र 5-6 हजार रुपये मासिक आमदनी होती थी। आर्थिक तंगी हमेशा बनी रहती थी। लेकिन आत्मनिर्भर बनने की सोच और मेहनत के दम पर उन्होंने बिहान के सहारे अपने जीवन की दिशा बदल दी। आज उनके पास आटा चक्की के साथ-साथ किराना दुकान, मसाला पैकेजिंग यूनिट और डीजे व्यवसाय भी है। इन चार आजीविका गतिविधियों से उनकी मासिक आय 25 से 30 हजार रुपये तक पहुँच गई है।

मेहनत से सही दिशा में प्रयास कर

बिहान से मिला आगे बढ़ने की राह 

शशिकला वर्ष 2018 में ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) से जुड़ीं और मोहल्ले की 10 महिलाओं के साथ मिलकर चमेली स्व-सहायता समूह बनाया। पहले उन्हें महिला समूह कोष से 15 हजार रुपये का आरएफ मिला, फिर 60 हजार रुपये का सीआईएफ और बाद में 1.50 लाख रुपये का व्यक्तिगत ऋण प्राप्त हुआ। इन्हीं संसाधनों से उन्होंने अपने छोटे-छोटे व्यवसाय खड़े किए और आय को लगातार बढ़ाया। जहां समूह से जुड़ने से पहले उनके परिवार की सालाना आय मात्र 50-60 हजार रुपये थी, वहीं अब वह लगभग 3 लाख रुपये सालाना लाभ अर्जित कर रही हैं।

शशिकला ’’लखपति दीदी’’बनी प्ररेणा स्रोत

केवल अपने परिवार तक सीमित न रहते हुए शशिकला अब अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हैं। वर्तमान में वह नारी शक्ति संकुल स्तरीय संगठन, बुड़ार की अध्यक्ष हैं और सैकड़ों महिलाओं को आजीविका गतिविधियों से जुड़ने हेतु प्रेरित ओर प्रोत्साहित कर रही हैं। आज शशिकला ’’लखपति दीदी’’ बनकर न केवल अपने परिवार को संबल दे रही हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी मिसाल बन चुकी हैं।

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