
रायपुर
बीते 24 घंटे में नक्सल सरेंडर के सारे रिकॉर्ड टूट गए। महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ तक 138 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने वालों में सबसे बड़ा नाम नक्सलियों के पोलित ब्यूरो मेंबर भूपति उर्फ सोनू दादा का है। सोनू ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के के सामने सरेंडर किया। उसके सरेंडर की खबर एक दिन पहले मंगलवार को ही सामने आ गई थी।
नक्सल प्रभावित इलाकों से एक बड़ी खबर आई है. बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि बीते 20 महीनों में कुल 1,876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण (सरेन्डर) किया है. इनमें कई कुख्यात नक्सली शामिल हैं, जिन पर लाखों रुपए के इनाम थे.
नक्सल विरोधी अभियान में लगातार सफलता के बीच शनिवार को कांकेर और सुकमा जिलों में एक बार फिर 127 माओवादियों ने हथियार डाल दिए. इनमें कांकेर जिले में 100 और सुकमा में 27 नक्सली शामिल हैं. यह सभी नक्सली अलग-अलग संगठनात्मक स्तर पर सक्रिय थे और वर्षों से पुलिस व सुरक्षा बलों की नजर में थे.
बड़े कमांडर कर रहे सरेंडर
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के बड़े कमांडरों ने सरेंडर करना शुरू कर दिया है.चर्चा है कि बड़े कमांडर रुपेश और रनिता भी सरेंडर कर सकते हैं, बताया जा रहा है कि उनकी छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारियों से बातचीत आखिरी दौर में पहुंच गई है. अगर ऐसा होता है तो यह नक्सल संगठनों के लिए बड़ा झटका माना जाएगा, क्योंकि यह दोनों माओवादी बडे़ नेता माने जाते हैं. इससे पहले माओवादी रणनीतिकार मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू या भूपति ने हथियार डाल दिए हैं. उसने महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में समर्पण कर दिया था, जबकि सुकमा और कांकेर जिले में भी नक्सलियों ने कल छत्तीसगढ़ में सरेंडर किया था.
आईजी सुंदरराज ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बसों के जरिए BSF कैंप तक लाया गया, जहां उन्होंने अपने हथियार सुरक्षा बलों को सौंपे. इसके बाद सभी से नियमों के मुताबिक पूछताछ की गई और पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की गई है.
उन्होंने कहा कि यह सरेंडर सिर्फ आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह साबित करता है कि सरकार की विकास और विश्वास की नीति जमीनी स्तर पर असर दिखा रही है. पहले जहां नक्सली खौफ और हथियार के सहारे शासन चलाने की कोशिश करते थे, वहीं अब गांवों में सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र खुलने लगे हैं जिसकी वजह से लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
बस्तर में अब डर नहीं, भरोसा बढ़ा है
आईजी सुंदरराज पी. ने आगे कहा कि बस्तर में अब डर नहीं, भरोसा बढ़ा है. जो कभी जंगल के रास्तों में बंदूक लेकर घूमते थे, वे अब अपने बच्चों के भविष्य की बात कर रहे हैं. ये बदलाव आसान नहीं था, लेकिन सुरक्षा बलों, प्रशासन और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयास से यह संभव हुआ.
बिखर रहा नक्सलवाद
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद बिखरना शुरू हो गया है. कांकेर जिले में जिन 100 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, उनमें टॉप कमांडर राजू सलाम, कमांडर प्रसाद और मीना ने भी हथियार डाले हैं, जो नक्सल संगठनों के लिए सबसे ज्यादा आगे रहते थे. राजू सलाम डिवीजनल कमेटी मेंबर था और वह 5 नंबर का कमांडर था, जो कई बड़ी घटनाओं में भी शामिल रहा है, बताया जाता है कि पिछले 20 सालों के दौरान जो बड़ी नक्सली घटनाएं हुई थी, उसमें कही न कही राजू सलाम का हाथ था. इसी तरह कमांडर प्रसाद और मीना भी नक्सल संगठनों में बड़े नाम थे, जो नक्सल संगठन के लिए कई चीजें उपलब्ध कराते थे.
कई महिला नक्सली भी शामिल
आत्मसमर्पण करने वालों में कई महिला नक्सली भी शामिल हैं, जो वर्षों से भूमिगत थीं. कुछ पर 5 लाख से 10 लाख रुपए तक के इनाम भी घोषित थे. पुलिस ने इन्हें सामाजिक पुनर्वास योजना के तहत लाभ देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.कांकेर में 100 और सुकमा में 27 नक्सली सरेंडर करने वालों में कई वारदातों में शामिल रहे हैं इनमें पुलिस कैंप पर हमले, सड़क निर्माण में बाधा और ग्रामीणों को डराने जैसे अपराध शामिल हैं.बस्तर पुलिस का कहना है कि अभी भी कई इलाके ऐसे हैं जहां नक्सली सक्रिय हैं, लेकिन अब उनका जनाधार तेजी से कमजोर हो रहा है. पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों ने नक्सल इलाकों में लगातार सफल सर्च ऑपरेशन चलाए हैं, जिससे संगठन का नेटवर्क कमजोर पड़ा है.
जानकारी के मुताबिक, राजू सलाम डिवीजनल कमेटी मेंबर (DVCM) कंपनी नंबर 5 का कमांडर था। वह रावघाट एरिया में सक्रिय था। राजू सलाम कांकेर में पिछले 20 साल में घटी सभी बड़ी घटनाओं का मास्टरमाइंड रहा है।
इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों के मुख्यधारा में लौटने से इलाके में नक्सलवाद के खात्मे की उम्मीदें बढ़ गई हैं। फिलहाल, कांकेर पुलिस आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों की पहचान करने में जुटी हुई है। संभावना है कि इन्हें जल्द ही जिला मुख्यालय या संभागीय मुख्यालय में मीडिया के सामने पेश किया जाएगा।
इसके अलावा एक दिन पहले ही 6 करोड़ के इनामी और पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति ने 60 साथियों के साथ महाराष्ट्र में सरेंडर किया था। सुकमा में भी 50 लाख के इनामी 27 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इनमें 10 महिलाएं और 17 पुरुष शामिल हैं। कोंडागांव जिले में 5 लाख की इनामी महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम (40) ने भी हथियार छोड़ दिए हैं।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि पिछले 20 महीनों में अब तक 1,876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ ले रहे हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में और भी माओवादी इस सकारात्मक रास्ते को अपनाएंगे।
20 महीने में 1876 का सरेंडर
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने नक्सलियों के सरेंडर को लेकर बड़ी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि 20 महीने में अब तक 1876 नक्सलियों ने हथियार डाले हैं और सभी पुनर्वास नीति का लाभ उठाते हुए मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. जबकि आने वाले दिनों में भी और नक्सलियों का सरेंडर हो सकता है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि माओवादी अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं.
2026 तक नक्सलवाद खात्में का प्लान
दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद खात्में को लेकर डेडलाइन जारी की थी, जहां मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म करने का ऐलान किया गया है, जिसके बाद से ही नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों और पुलिस का अभियान तेज हो गया था. इसके अलावा सरकारों की तरफ से भी नक्सलियों के लिए पुर्नवास में लौटने के लिए कई नीतियां चलाई जा रही हैं, जिसका फायदा अब मिलना शुरू हो गया है, क्योंकि सरकारी नीतियों से प्रभावित होकर भी बड़ी संख्या में नक्सली हथियार डाल रहे हैं.
CM फडणवीस के सामने भूपति समेत 61 नक्सलियों का सरेंडर
बता दें कि मोजुल्ला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू दादा ने मंगलवार को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सरेंडर करने का फैसला लिया था। बुधवार को भूपति उर्फ सोनू दादा समेत 61 नक्सलियों ने आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने हथियार डाले हैं। ये नक्सली अपने साथ हथियार भी लेकर आए थे, जिसे सीएम फडणवीस को सौंपा।
दरअसल, भूपति नक्सल संगठन में पोलित ब्यूरो मेंबर है। यह तेलंगाना के करीब नगर का रहने वाला है। 80 के दशक से माओवाद संगठन के साथ जुड़कर काम कर रहा था। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश ओडिशा, समेत अन्य राज्यों में यह मोस्ट वांटेड था।
छत्तीसगढ़ सरकार ने भूपति पर करीब 1 से डेढ़ करोड़ रुपए का इनाम रखा था। अन्य राज्यों को मिलाकर ये 6 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनामी है।